Monday, January 18, 2016

पुष्कर ही नहीं यहां भी पूजे जाते हैं ब्रह्माजी

बरसठी। पुष्कर के बारे में कहा जाता है कि पूरे भारत में ब्रह्माजी का इकलौता मंदिर है, जहां ब्रह्माजी की पूजा की जाती है लेकिन यह गलत है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के बरसठी ब्लाक के सरसरा गांव में भी ब्रह्माजी की पूजा की जाती है। बरसठी रेलवे स्टेशन के समीप स्थित शिव मंदिर के पास भगवान ब्रह्माजी मूर्ति स्थापित है। भक्त पूजन जरूर करते हैं लेकिन यहां कोई मंदिर नहीं है। 
ब्रह्माजी की मूर्ति खुले अासमान के नीचे स्थापित है। गांव वाले चौमुखा के नाम से इस मूर्ति की पूजा करते हैं। मूर्ति में चार मुख स्पष्ट है। जिसे चतुरानन अर्थात ब्रह्माजी कहा जा सकता है। मूर्ति स्थापना के समय ही लोगों को इस बात का ध्यान रहा होगा की जो कोई ब्रह्माजी का मंदिर बनवाएगा उसका विनाश हो जाएगा। इस बात को ध्यान में रखकर मंदिर का निर्माण नहीं हुअा है। खुले में ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के बारे में तो किसी को नहीं पता है कि यह कितने साल पुरानी है। लेकिन बताया जाता है कि गांव के ही मिश्रा परिवार द्वारा इसकी स्थापना की गई है। पुरातत्व विभाग द्वारा यदि इसकी जांच की जाए तो मूर्ति कितनी पुरानी है पता चल सकती है। 

क्यों नहीं होती ब्रह्माजी की पूजा
मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का ख्याल आया। यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी। लिहाजा उन्होंने अपनी बांह से निकले हुए कमल को धरती लोक की ओर भेज दिया। वो कमल इस शहर तक पहुंचा। कमल बगैर तालाब के नहीं रह सकता इसलिए यहां एक तालाब का निर्माण हुआ। यज्ञ के लिए ब्रह्मा यहां पहुंचे। लेकिन उनकी पत्नी सावित्री वक्त पर नहीं पहुंच पाईं। यज्ञ का समय निकल रहा था। लिहाजा ब्रह्मा जी ने एक स्थानीय ग्वाल बाला से शादी कर ली और यज्ञ में बैठ गए।

सावित्री थोड़ी देर से पहुंचीं। लेकिन यज्ञ में अपनी जगह पर किसी और औरत को देखकर गुस्से से पागल हो गईं। उन्होंने ब्रह्मा जी को शाप दिया कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। यहां का जीवन तुम्हें कभी याद नहीं करेगा। सावित्री के इस रुप को देखकर सभी देवता लोग डर गए। उन्होंने उनसे विनती की कि अपना शाप वापस ले लीजिए। लेकिन उन्होंने नहीं लिया। जब गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी। कोई भी दूसरा आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।

Sunday, January 17, 2016

दो पड़ोसी गांव दूरी महज 3किमी, जहां जाते हैं लोग ट्रेन से


बरसठी। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में दो ऐसे गांव हैं जहां की दूरी महज 3 किमी है। एक दूसरे गांव में जाने के लिए लोग ट्रेन का सहारा लेते हैं। दोनों गांवों में रेलवे स्टेशन है। जहां कई पैसेंजर गाडियां भी रुकती है।

जौनपुर जिले के बरसठी ब्लाक में सरसरा और कटवार दो गांव हैं। दोनों गांव एक दूसरे के पड़ोसी है। दोनों गांवों को जोड़ने के लिए रेलवे लाइन ही सहारा है। सड़क मार्ग से दोनों गांवों की दूरी करीब 6 किमी हैं, वहीं रेल मार्ग से मात्र 3 किमी है। इलाहाबाद जौनपुर रेलमार्ग पर स्थित दोनों गांवों में रेलवे स्टेशन हैं। सरसरा में बरसठी स्टेशन तो कटवार में कटवार बाजार स्टेशन है। बरसठी स्टेशन जहां अंग्रेजों के जमाने में बना था वहीं कटवार बाजार रेलवे हाल्ट महज दो साल पहले बना। कटवार बाजार हाल्ट रेलवे के बारे में कहानी बड़ी मजेदार है। कटवार सहित असपास गांव के लोग जब ट्रेन कटवार पहुंचती थी तो चैन पुलिंग कर रोक देते थे। इससे रेल प्रशासन काफी परेशान था। बाद में तत्कालीन सांसद स्वामी चिन्मयानंद के प्रयास से कटवार को 2 साल पहले हाल्ट बनाया गया। ग्रामीणों ने स्टेशन की घोषणा होते ही श्रमदान से वहां पर मिट्टी वगैरह डालकर स्टेशन का रूप दे दिए हैं। दोनों गांव के लोग कभी पैदल
एक दूसरे गांव में आते-जाते थे आज ट्रेन से आते-जाते हैं।  

Wednesday, October 7, 2015

बिहार चुनाव में रोज नए शब्दों का उदय

बिहार चुनाव इस बार कुछ अलग अंदाज में दिख रहा है। रोज नए-नए शब्दों का उदय हो रहा है। नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, नरेंद्र मोदी, अमित शाह ने जिस प्रकार से शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं उससे लगता है कि यदि कोई भाषा वैज्ञानिक इस पर गौर करे तो उसे एक चुनावी डिक्शनरी तैयार करने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं उसे मेहनत की जरुरत भी नहीं पड़ेगी। न ही किसी को साभार कहना पड़ेगा बल्कि कोई पब्लिकेशन वाला हाथ जोड़कर छापने के लिए तैयार हो जाएगा। वह डिक्शनरी हाथोहाथ बिक भी जाएगी। उस डिक्शनरी की डिमांड राजनेता से लेकर फिल्मी दुनिया के लोगों को अधिक रहेगी। अाप चाहे तो इन शब्दों का पेटेंट करा लो तो कोई यह नहीं कह पाएगा की ये चोरी का शब्द है। लालू के हर शब्दों पर फिल्म बन जाएगी। मोदी के हर वाक्य हर राजनीतियों के जुबान पर होगी। नीतीश का हर जुमला बचाव पक्ष का हथियार बन जाएगा। यदि अाप लोगों को लग रहा है कि व्यंग छूट रहा है तो राजनीति के कुवांरे भाई राहुल के शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं। 

Wednesday, January 11, 2012

इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग

इंटरनेट और ब्लॉग के प्रादुर्भाव ने पत्रकारिता में बड़े परिवर्तन का द्वार खोला है। अभी कुछ समय पूर्व तक ‘खबर’ वह होती थी जो अखबार में छप जाए या रेडियो-टीवी पर प्रसारित हो जाए। परंतु अब इंटरनेट न्यूज़ वेबसाइट्स और ब्लॉग की सुविधा के बाद तो एक क्रांति ही आ गई है। न्यूज़ बेवसाइट्स ने छपाई, ढुलाई और कागज का खर्च बचाया तो ब्लॉग ने शेष खर्च भी समाप्त कर दिए। ब्लॉग पर तो समाचारों का प्रकाशन लगभग मुफ्त में संभव है।
आज लगभग हर पत्रकार ईमेल का प्रयोग करना जानता है। लेकिन अभी भी बहुत से संवाददाता ऐसे हैं जो इंटरनेट में ईमेल से आगे नहीं बढ़ पाये। आपको जो समाचार ईमेल के माध्यम से मिल जाता है, उसमें कंपोज़िगं का समय तो बचता ही है, उसका संपादन और प्रूफ शोधन भी आसान बात है। परंतु इंटरनेट का उपयोग इतने तक ही सीमित नहीं है। इंटरनेट एक बहुत उपयोगी साधन है और यदि आप इंटरनेट का ढंग से उपयोग कर सकें तो यह आपकी प्रगति के कई दरवाजे खोल सकता है। इटंरनेट ज्ञान का भंडार है। इंटरनेट से आपको खबरों के कई नये स्रोत मिल सकते हैं, नये नज़रिये से चीजों को देखने की दृष्टि मिल सकती है और काम की गति बढ़ सकती है। इटंरनेट पर अंग्रेजी ही नहीं, हिंदी में भी बहुत-सी उपयोगी सामग्री उपलब्ध है जिससे लाभ उठाया जा सकता है। इसी तरह सरकारी विभागों की वेबसाइटों पर बहुत-सी उपयोगी जानकारी बिखरी पड़ी है जो अपने आप में समाचारों का भंडार हैं। यही नहीं, देश का लगभग हर बड़ा हिंदी अखबार इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसका लाभ है कि इंटरनेट के प्रयोग से आप देश के दूर-दराज से छपने वाले हिंदी अखबार में छपने वाली हर सामग्री घर बैठे पढ़ सकते हैं और उसके लिए आपको अखबार खरीदने तक की आवश्यकता नहीं । यही नहीं, आप अपने समय की सुविधा के अनुसार जब चाहें, अखबार का ऑनलाइन संस्करण पढ़ सकते हैं और उसमें से अपने मतलब की खबरें देख ले सकते हैं।
बहुत से न्यूज़ पोर्टल (समाचारों की वेबसाइट) सिर्फ इंटरनेट संस्करण देने वाले ही हैं, यानी, वे ऐसे समाचारपत्र हैं जो सिर्फ इंटरनेट पर ही उपलब्ध हैं। हिंदी में समाचार4मीडिया.कॉम ऐसे ही ऑनलाइन समाचारपत्र के उदाहरण हैं। इसी तरह सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें और ब्लॉग भी न केवल ज्ञान का भंडार हैं बल्कि बहुत से समाचार तो इन्हीं वेबसाइटों और ब्लॉग से निकलते हैं। आज भिन्न-भिन्न सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें और ब्लॉग इतने लोकप्रिय और प्रभावशाली हैं कि उनमें लिखी बातें समाचार बनती हैं। अब ब्लॉग समाचार से पीछे नहीं हैं, समाचारपत्र और टीवी चैनल ब्लॉग के पीछे चलते हैं। फिल्मी गपशप में रुचि रखने वाले लोगों के लिए अमिताभ बच्चन का शाहरुख खान, आमिर खान, आदि फिल्मी हस्तियों के ब्लॉग समाचारों का बड़ा स्रोत हैं। ये अपने ब्लॉग पर जो लिखते हैं, वह खबर बन जाता है।
केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद शशि थरूर ने हवाई जहाज की इकॉनमी क्लास को ट्विटर नामक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर ‘कैटल क्लास’ बताकर मुसीबत मोल ले ली और उन्हे माफी मांगकर ही छुटकारा मिला।
क्या है ब्लॉग ?
ब्लॉग अंग्रेजी के शब्द वेब-लॉग का छोटा रूप है जिसका अर्थ है इंटरनेट पर प्रकाशित डायरी। इसकी सबसे ताज़ा प्रविष्टि, यानी एंट्री (जिसे ब्लॉग के प्रयोक्ता ‘पोस्ट’ कहते हैं, क्योंकि एंट्री पोस्ट की जाती है यानि ब्लॉग पर प्रकाशित की जाती है ) ब्लॉग के होम पेज या मुख्य पृष्ठ पर होती है तथा शेष पुरानी प्रविष्टियां पुराने अभिलेखों यानी आर्काइव्स में शामिल हो जाती हैं। होमपेज पर आर्काइव्स का लिकं रहता है जहां से आप पुरानी प्रविष्टियों को देख सकते हैं। पुरानी प्रविष्टियां तिथि और विषय के अनुसार वर्गीकृत की जा सकती हैं। यानी, आप राजनीतिक विषय की प्रविष्टियां अलग कर सकते हैं और फिल्म के संबंध में लिखी गई प्रविष्टियां अलग रख सकते हैं। इसी प्रकार अलग-अलग तिथियों की प्रविष्टियों को अलग-अलग रखा और ढूंढ़ा जा सकता है। ब्लॉगर चाहे तो पाठक हर प्रविष्टि पर अपनी टिप्पणियां दे सकते हैं, दूसरों की टिप्णियां पढ़ सकते हैं और दूसरों की टिप्पणियों पर भी टिप्पणी कर सकते हैं।
आपके पास इंटरनेट का कनेक्शन हो तो आप विश्व भर में कहीं भी हों, अपने ब्लॉग पर आप नई प्रविष्टि डाल सकते हैं। आप अपनी प्रविष्टि को टाइप करते हैं, उसके प्रकाशित करने के बटन को क्लिक करते हैं और दुनिया भर के लोग उसे देख सकते हैं। यह अत्यंत आसान काम है।
ब्लॉग विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो वेब डिज़ाइनिंग अथवा इसकी कूट भाषा यानी एचटीएमएल कोडिंग नहीं जानते और सीखना भी नहीं चाहते । यदि आप ईमेल का प्रयोग जानते हैं तो ब्लॉग बनाना आपके बांये हाथ का खेल है। उसमें कुछ भी नया सीखने की आवश्यकता नहीं है।
ब्लॉग का ढांचा
ब्लॉग की उपयोगिता समझने के बाद, आइये हम ब्लॉग के ढांचे अथवा इसके आवश्यक तत्वों के बारे में भी कुछ जान लें।
शीर्षक एवं टैग लाइन
आपके ब्लॉग का शीर्षक जितना ही स्पष्ट होगा, लोगों को आपके ब्लॉग की प्रकृति समझने में उतनी ही आसानी होगी तथा उस विषय में रुचि रखने वाले पाठकों को आपका ब्लॉग ढूंढ़ने में उतनी ही आसानी होगी तथा आपके ब्लॉग पर आने वाले लोगों की संख्या उतनी ही ज्यादा होगी। आपको अपने ब्लॉग के शीर्षक में ब्लॉग शब्द जोड़ने की आवश्यकता नहीं है। यदि आपके ब्लॉग का शीर्षक और टैग लाइन आपके ब्लॉग के विषय की व्याख्या करते होंगे तो इंटरनेट के सर्च इंजन के माध्यम से नये पाठक आपके ब्लॉग तक आसानी से पहुंच सकेंगे।
प्रविष्टियां
ब्लॉग में आप एक विषय पर जो कुछ भी लिखते हैं, वह एक प्रविष्टि है। आप एक ही दिन में कितनी ही प्रविष्टियां कर सकते हैं, या कई दिनों तक एक भी प्रविष्टि न करें, यह आपकी इच्छा और सुविधा पर निर्भर करता है। सबसे ताज़ा प्रविष्टि मुख्य पृष्ठ पर रहती है और जैसे-जैसे आप नई प्रविष्टियां जोड़ते चलते हैं, पुरानी प्रविष्टियां पुराने अभिलेखों में शामिल होती जाती हैं।
पर्मालिंक
कई ब्लॉग की प्रविष्टियों के अंत में आपको पर्मालिंक का बटन मिलेगा। पर्मालिंक वस्तुतः पर्मानेंट लिंक का छोटा रूप है जो एक स्थाई संपर्क सूत्र है जिससे आप किसी खास प्रविष्टि को जब चाहें तब देख सकते हैं। मान लीजिए कि आपने मेरे ब्लॉग की किसी प्रविष्टि को पर्मालिंक से जोड़ दिया, जो उस समय मेरे ब्लॉग के मुख्यपृष्ठ पर थी। अब जैसे-जैसे मैं नई प्रविष्टियां डालती जाऊंगी, पहले वाली प्रविष्टि पुरानी होकर अभिलेखों में शामिल हो जाएगी। यदि आप सिर्फ मेरे ब्लॉग के होम पेज पर लिंक लगाएंगे तो जो व्यक्ति आपके ब्लॉग या वेबसाइट से उस लिंक पर क्लिक करेगा, वह मेरे ब्लॉग के होमपेज अथवा मुख्यपृष्ठ पर पहुंचेगा, और उसे उस विशिष्ट प्रविष्टि को तलाश करना पड़ेगा। परन्तु यदि आप मेरे ब्लॉग की किसी प्रविष्टि को पर्मालिंक से जोड़ेंगे तो जो भी व्यक्ति उस लिंक पर क्लिक करेगा, वह सीधे वांछित प्रविष्टि पढ़ सकेगा। इसे आप यूं समझ सकते हैं कि मेरे ब्लॉग की हर प्रविष्टि का अपना अलग वेब पेज या वेब-एड्रेस होगा। यह कहने के बजाए कि सुप्रिया मिश्रा के ब्लॉग के होमपेज पर जाइए, नवंबर माह की चौथी तारीख की सातवी प्रविष्टि देखिए, आप सीधे उस प्रविष्टि को पर्मालिंक से जोड़ सकते हैं औऱ लिंक क्लिक करने पर हर बार सीधे वही प्रविष्टि खुलेगी, उसे ढूढने के लिए अलग मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
टिप्पणियां
हर ब्लॉग विभिन्न प्रविष्टियों से बनता है, यानी एक ब्लॉग कुछ या कई प्रविष्टियों का जोड़ है और यदि आप चाहें तो, आप अपने ब्लॉग की प्रविष्टियों पढ़ने वाले पाठकों को यह सुविधा दें कि वे उस पर अपनी टिप्पणियां भी छोड़ सकते हैं।
ब्लॉग में लोगों की रुचि का एक बड़ा कारण यह भी है कि इस तरह से आप पाठक की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर लेते हैं। यदि आप कोई न्यूज़लेटर ईमेल करते हैं तो लोग अपनी राय आपको ईमेल कर सकते हैं, पर वह राय आपके और उस पाठक के बीच ही सीमित रहेगी। अन्य लोग उसे नहीं देख सकते। ब्लॉग में यह सीमा नहीं है। हर व्यक्ति आपकी प्रविष्टि पर अपनी राय दे सकता है, उसके बाद आपकी प्रविष्टि देखने वाले लोग न केवल आप की प्रविष्टि देख सकते हैं बल्कि उस पर दर्ज टिप्पणियां भी देख सकते हैं। वे आपकी प्रविष्टि पर अपनी अलग टिप्पणी दर्ज कर सकते हैं, टिप्पणी पर टिप्पणी दर्ज कर सकते है, और आपकी प्रविष्टि तथा टिप्पणी दोनों पर एक साथ या अलग-अलग राय दर्ज कर सकते हैं। आपके पाठक आपसे सहमत हो सकते हैं, असहमत हो सकते हैं, उसमें कुछ नया जोड़ सकते हैं और यह सुझाव भी दे सकते हैं कि उस विषय पर और अधिक जानकारी कहां से पायी जा सकती है।
यह आप पर निर्भर करता है कि आप लोगों को टिप्पणी की सुविधा दें या न दें। टिप्पणी आ जाने के बाद भी ब्लॉग के रचयिता के तौर पर आप किसी टिप्पणी को संपादित कर सकते हैं, हटा सकते हैं या ज्यों का त्यों प्रकाशित कर सकते हैं। आप यह भी कर सकते हैं कि कुछ विशिष्ट प्रविष्टियों पर टिप्पणी न की जा सके। यही नहीं, यह भी आपके हाथ में है कि आप की प्रविष्टियों पर की जाने वाली टिप्पणियां पहले आप देखें, और जो टिप्पणी आप प्रकाशित करना चाहें, सिर्फ वही टिप्पणी लोगों को दिखाई दे।
पुरानी प्रविष्टियां (अभिलेख या आर्काइव्स)
ब्लॉग की एक और बड़ी खासियत यह है कि जैसे-जैसे आप नई प्रविष्टियां जोड़ते चलते हैं, पुरानी प्रविष्टियां अपने आप आपके अभिलेखागार यानी रिकार्ड रूम में इकट्ठी होती चलती हैं और उनका वर्गीकरण होता चलता है। वेबसाइट में यदि आप कुछ जोड़ना चाहें तो अपने वेब डिज़ाइनर के बिना आप ऐसा नहीं कर सकते, जबकि ब्लॉग का सॉफ्टवेयर आपके लिए खुद-ब-खुद यह काम करता है। इससे पुरानी प्रविष्टियों को ढूंढ़ने में आसानी रहती है क्योंकि तब आप किसी खास विषय पर लिखी गई अथवा किसी खास तारीख को लिखी गई प्रविष्टि तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
ब्लॉगर या ब्लॉग के रचयिता के बारे में सूचना
ब्लॉगर या ब्लॉग का रचयिता अपने ब्लॉग पर अपने बारे में वांछित जानकारी रुचिकर ढंग से दे सकता है। इससे आपको व्यक्तिग रूप से न जानने वाले नये पाठकों को भी आपकी रुचियों और उपलब्धियों की जानकारी मिलती है।
ब्लॉगरोल
ब्लॉग बनाने वाले ज्यादातर लोग अपने ब्लॉग के साथ ब्लॉगरोल भी बनाते हैं। ब्लॉगरोल, ब्लॉग के लेखक की पसंदीदा वेबसाइटों और ब्लॉगों की सूची मात्र है। ब्लॉगरोल में दी गई वेबसाइटों और ब्लॉगों को क्लिक करने से आप उन वेबसाइटों अथवा ब्लॉगों तक भी पहुंच सकते हैं औऱ आपको उनसे बहुत सी नई जानकारी मिल सकती हैं।
फीड सुविधा
ब्लॉग में एक अनूठी सुविधा है। आपको अक्सर ब्लॉग पर एक लिंक मिलेगा जो कहता है ‘इस ब्लॉग की प्रविष्टियों को सब्सक्राइब कीजिए, अर्थात उन्हें नियमित रूप से पाने की सहमति दीजिए।’ यदि आप किसी ब्लॉग के ऐसे लिंक पर क्लिक करते हैं तो उस ब्लॉग की हर नयी प्रविष्टि की सूचना आपको खुद-ब-खुद ईमेल से मिलती रहेगी। इससे आपको उस ब्लॉग पर बार-बार जाकर यह देखने की आवश्कता नहीं रहती कि ब्लॉग के लेखक या रचयिता ने उसमें कोई नयी प्रविष्टि डाली या नहीं, क्योंकि एक बार फीड सब्सक्राइब कर लेने पर नयी प्रविष्टियों की सूचना आपको खुद-ब-खुद मिलती रहेगी।
इन सुविधाओं की सूची से ही आप जान गये होंगे कि ब्लॉग की लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है। ब्लॉग अपने संपर्क बढ़ाने का, व्यवसाय बढ़ाने का, किसी एक मत के प्रचार का एक बड़ा और सुविधाजनक साधन है। ब्लॉग बनाने के लिए आपको इंटरनेट कनेक्शन वाला कंप्यूटर और ब्लॉग लिखने की इच्छा चाहिए। इतने कम खर्च से आप दुनिया भर तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। इसी फर्क ने पुराने ज़माने के पत्रकारों का विशेषाधिकार छीन लिया है और इसी कारण से सिटिजन जर्नलिज़्म को बढ़वा मिला है। इसके परिणाम कुछ भी हों, पर ब्लॉग एक ऐसी सुविधा है जिसने पत्रकारिता की दुनिया को हमेशा-हमेशा के लिए बदल डाला है।
किसी घटना के घटित होने पर टीवी चैनेल का पत्रकार जब कैमरा सहित घटना स्थल पर पहुंचेगा, फोटो लेगा, खबर रिकार्ड करवायेगा, खबर संपादित होकर प्रसारित होगी, उसमें काफी समय लगता है। यह एक लम्बी प्रकिया है। ब्लॉगर के सामने यह विवशता नहीं है। वह अपने मोबाइल से भी फोटो खींच सकता है, कैमरे से भी और अपनी टिप्पणी सहित अपने ब्लॉग पर डाल सकता है। बहुत सी खबरें पहले ब्लॉग पर आईं, टीवी चैनलों ने उन्हे बाद में प्रसारित किया। अखबारों का मामला तो और भी अलग है। अखबारों में तो नया समाचार अगला संस्करण आने पर ही आ सकता है। इस तरह तकनीक के कंधे पर सवार होकर ब्लॉग ने समाचार पत्रों और टीवी चैनलों को भी एक तरह से पीछे छोड़ दिया है।
एक समाचारपत्र पढ़ने वाला व्यक्ति समाचारपत्र पढ़ते हुए भी कुछ और काम कर रहा हो सकता है, उसका ध्यान भटक सकता है, वह समाचारपत्र पढ़ते हुए फोन पर बात कर सकता है। ब्लॉग का पाठक इस मामले में समाचारपत्र के पाठक से भिन्न है। ब्लॉग का पाठक अक्सर सक्रिय पाठक होता है। और वह जिस ब्लॉग का पाठक है, उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है। यही एक खूबी ब्लॉग की महत्ता को और भी स्पष्ट करती है।
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ये वे वेबसाइटें हैं जहां आप अपना सामाजिक दायरा भी बढ़ा सकते हैं, नये मित्र बना सकते हैं, पुराने मित्रों से संपर्क में रह सकते हैं, आपस में एक-दूसरे को राय दे सकते है, आदि-आदि। ऑर्कुट, टिवटर, बिगअड्डा, यूटयूब आदि ऐसे ही मंच हैं जो सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट हैं। इनकी लोकप्रियता इतनी तेजी से बढ़ी है कि यह खुद ही अपने आप में एक खबर है।
आज हर रोज लगभग दो लाख नये ब्लॉग बनते हैं, लगभग चालीस लाख नयी प्रविष्टियां हर रोज़ दर्ज की जाती हैं। लोग ब्लॉग पढ़कर खुश होते है, हंसते हैं, रोते हैं, कुछ नया सीखते हैं, अपने उत्पादों और सेवाओं की जानकारी देते हैं और नये उत्पादों और सेवाओं की जानकारी लेते हैं, जानकारी बांटते हैं, बढ़ते हैं। यदि आप कुशल पत्रकार बनना चाहते हैं तो ब्लॉग की महत्ता को नज़र अंदाज़ मत कीजिए। दूसरों के ब्लॉग पढ़िए, उनसे दोस्तियां बनाइए, अपना ब्लॉग बनाइए और अपने प्रशंसक वर्ग में इज़ाफा कीजिए। यह समय की जरूरत है, समय की मांग है।
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ-साथ अब हमारे पास वेब मीडिया जैसा नया विकल्प भी मौजूद है। आज के दौर में हर सचेत नागरिक पत्रकार है। वह अपने विचारों को ब्लॉग के जरिए प्रकट कर सकता है। पत्रकारिता में आने के इच्छुक हर व्यक्ति को अपना ब्लॉग बनाना चाहिए। इससे लिखने का अभ्यास बढ़ता है और आप खुद को तकनीकी रूप से अपग्रेड कर सकते हैं।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि आप जहां तक सोच सकते हैं, इंटरनेट आपको वह सब करने का मौका देता है। अभी तक मानव सभ्यता ने जितने भी मीडिया माध्यमों का उपयोग किया है, इंटरनेट उन सबमें अनूठा, प्रभावी और सर्वगुण संपन्न है। सूचना संचार के तीनों माध्यमों, यानी दृश्य, श्रव्य और पाठ को एक ही सूत्र में बांधने वाला इंटरनेट नाम का यह नया माध्यम गति औऱ पहुंच के पैमाने में अतुलनीय है। इंटनेट, ब्लॉग और सोशल नेटवकिंग वेबसाइट्स की असाधारण लोकप्रियता का यही कारण है।
समाचार4मीडिया से साभार

Thursday, December 1, 2011

साध्वी चिदर्पिता की बाते निकली सच स्वामी चिन्मयानंद पर दुष्कर्म व हत्या मामला दर्ज

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के विरूद्ध उनकी एक शिष्या ने दुष्कर्म एवं हत्या के प्रयास के आरोप की प्राथमिकी दर्ज कराई है।

पुलिस सूत्रों ने बताया है कि स्वामी चिन्मयानंद के मुमुक्षक आश्रम की पूर्व प्रबंधक एवं उनकी शिष्या ने शाहजहांपुर के जिला पुलिस अधीक्षक को दो दिन पहले भेजी एक तहरीर में उनके विरूद्ध दुष्कर्म एवं हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया कि शिष्या ने बुधवार को जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में उपस्थित होकर इस संबंध में अपना बयान भी दर्ज कराया, जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने चिन्मयानंद के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली है।

उन्होंने बताया है कि इस मामले की जांच पुलिस निरीक्षक नरेंद्र पाल सिंह को सौंपी गई है। प्राथमिकी के अनुसार, वर्ष 2001 से वह राजनीतिक और आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने के लिए स्वामी चिन्मयानंद के दिल्ली आवास पर रह रही थी और उनके साथ अनेक स्थानों की यात्रा कर चुकी है। शिष्या ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2005 में स्वामी चिन्मयानंद के निर्देश पर उन्हें मुमुक्षक आश्रम लाया गया, जहां उन्होंने नशीला पदार्थ खिलाकर उसका यौन शोषण किया और सारे कृत्य की वीडियो फिल्म बना ली, जिसके बल पर उसे ब्लैकमेल किया गया और दो बार उसे जबरन गर्भपात भी कराना पड़ा। स्वामी चिन्मयानंद ने बहरहाल उनके विरूद्ध लगे आरोपों को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया है।


Friday, March 11, 2011

सुनामी से मौत का मंजर


६ साल बाद एक फिर सुनामी की याद ताजा हुई । 11 मार्च 2011 जापान के उत्तरी पूर्वी इलाके में ८.९ की तीव्रता के भूकंप के बाद आई सुनामी ने भारी तबाही मचाई है । सबसे ज्यादा तबाही तटीय इलाके में हुई है। सेंडई इलाके में रीब 10 मीटर ऊंची उठी लहरों में कई मकान और गाडिय़ां बह गई। एक बड़ा पोत भी लहरों में बह गया। भूकंप के बाद सुनामी से करीब 200 शव तो सेंडई शहर में मिले थे। अभी कितने लोग मलवे में दबे है या समुद्र में बह गए उसकी जानकारी नही थी। इस खौफनाक मंजर से एक बार फिर दिल दहल गया। 26 दिसम्बर सन् 2004 की वह दिन फिर याद आ गया। जो अनेक सुन्दर जिन्दगियों के लिए खौफनाक मौत का पैगाम लेकर आई। समुद्र की सुनामी लहरों ने मौत का एक ऐसा विकट जाल बिछाया था, जिसमें हजारों लोगों के घर तबाह हो गए थे, हजारों जीवन बर्बाद हो गए थे।
उस समय भूकंप भूक·े कारण धरती की धुरी बुरी तरह से काँपने लगी थी। दुनिया के नक्शे से कुछ द्वीप गायब होने लगे थे तथा कुछ अपनी जगह से खिसकने भी लगे थे। सुनामी लहरों के कारण समुद्र तट पर बसे तमिलनाडु राज्य के तीन नगर—कुडलूर, नागपट्टिनम और वेलांगनी लगभग नष्ट ही हो चुके थे, साठ से ज्यादा ऐसे गाँव थे जिनका पृथ्वी पर कोई नामोनिशान बाकी नहीं रहा था। उन गाँवों को कच्ची-पक्की इमारतें कहाँ गईं—कुछ पता न चल सका। सबको समुद्र की सुनामी लहरें खा गईं। अनेक घर समुद्र की ऊँची-ऊँची लहरों की चपेट में आकर ध्वस्त हो गए। लोग-बाग अपनी जान बचाने के लिए समुद्र की लहरों से डरकर भागे परन्तु वे भागते कहाँ तक ? काल उनके सिर पर मँडराता हुआ, अपने आगोश में ले लिया।
आज जब जापान में सुनामी आयी तो भारत की कल्पना कर दिल कांप गया। इस दैविक आपदा में मारे गए बेकसूर लोग जिसका आज का दिन शुरू होने से पहले खत्म हो गई ।